सामान्य परिचय 
नाम - महेंद्र कुमार
पता - जोधपुर ( राज.)
उम्र - 22 वर्ष
शिक्षा - बीए स्नातक
धर्म - नास्तिक / मानवतावादी
शौक - लेखन,  संगीत सुनना,  नये लोगों से मिलना
प्रेरणादायक शख्सियत - संजय दत्त,  ओशो,  निक  वुजिकिक
पंसदीदा बालीवुड फिल्म - मदर इंडिया
नास्तिकता की शुरुआत - 
 
जब मैं 6th कक्षा में पढता था,  तब वहाँ के हैडमास्टर श्रीमान् रूगाराम जी थे,  वह बहुत तार्किक थे।  कक्षा में कभी - कभी ईश्वर,  धर्म अंधविश्वासों तथा ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती थी।  
रूगाराम जी ने ईश्वर के अस्तित्व को लेकर अपने निजी मत रखे थे,  फलस्वरूप मैं ईश्वर के अस्तित्व तथा धर्मों की उत्पत्ति को लेकर चिंतन करने लगा।  
उस समय मेरी जिज्ञासा चरम पर थी,  मानव की उत्पत्ति,  पृथ्वी पर जीवों का उदभव,  ब्रहांड के रहस्यों इत्यादि के सवालों के जवाब चाहिए थे।  
साइंस में मैंने डार्विन का सिद्धांत,  बिग बैंग थ्योरी,  जीवों की उत्पत्ति इत्यादि प्रकरणों को पढना शुरू कर दिया।  कुछ वैज्ञानिक तथा दार्शनिकों के ईश्वर पर निजी मत भी पढे।  उसके बाद मैं सोशल मीडिया से जुङ गया,  वहाँ पर मुझे मेरी विचारधारा के लोग मिलने लगे।  
मैंने भगत सिंह को पढा तथा उन्ही 
 का  बहुचर्चित लेख " मैं नास्तिक कयों हूँ " पढा।  तथा स्टीफन हांकिग  के ईश्वर के अस्तित्व को नकारने के सिद्धांत भी पढे।  
मेरे एक अच्छे मित्र हुये जो रिश्ते में भाई भी लगते हैं,  आपका शुभ नाम बबलू उर्फ मानसिंह जी हैं।  हम दोनों के बीच धर्म तथा ईश्वर के अस्तित्व को लेकर डिबेट होती थी। धीरे - धीरे मेरे प्रयत्नों से बबलू भी तार्किक तथा नास्तिक बन गया।  
हम दोनों ने भूतों के अंधविश्वासों को तोड़ने तथा जानने के लिए मध्यरात्रि को श्मशान का दौरा भी किया तथा खूब टोने - टोटके भी खाये।  
वर्तमान में मैं एक घोर नास्तिक के रूप में जाना जाता हूँ।  
देहदान की घोषणा 

मृत्यु के पीछे सभी तरह की पांखडी प्रथाओं को लेकर में चितिंत  तथा दुखी था,  इसका समाधान मुझे देहदान में नजर आया।  
देहदान के बारे में मुझे मेरे फेसबुक मित्र ललित जी दार्शनिक से पता चला।  फिर मैंने भी देह का दान करने का निर्णय ले लिया।  
जब मैंने अपने परिवार से देहदान के बारे में बात की तो उन्होंने इसके लिए बिल्कुल मना कर दिया।  लेकिन इस संबंध में जब मैंने मेरे अजीज मित्र वैध खिवंराज जी परिहार से बात की तो उन्होंने मेरा समर्थन किया तथा देहदान घोषणा पत्र पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर भी किये,  जिसके लिए मैं उनका आभारी हूँ।  
फिर मैंने घरवालों की इच्छा के विरूद्ध जाकर DR. S. N.  मेडिकल कालेज,  जोधपुर में देहदान की सारी औपचारिकताएं पुरी करने 13/11/2017 को स्वेच्छा से देहदान का पंजीकरण कर दिया।  तथा साथ ही नेत्रदान के लिए भी पंजीकरण करवा दिया।  
कुछ समय पश्चात मुझे यह भी पता चला कि हम हमारी देहदान की इच्छा को कानूनी रूप से रजिस्टर करवा सकते हैं,  मैंने यह भी रजिस्टर वील डिड करवा दिया,  जिसके अनुसार मेरी प्राकृतिक मृत्यु पर सिर्फ मेडिकल कॉलेज का ही अधिकार रहेगा तथा पुलिस तथा कानून देह को सुरक्षित मैडिकल कालेज को पहुचायेंगे फिर चाहे घर वाले इसके लिए कितना भी विरोध करें।  
नोट - Dr.  Jambal Rukhmni जी  ( महाराष्ट्र)  ने देहदान रजिस्ट्री ( वील - डिड)  के लिए मेरे खाते में 1,000 रूपये  डालें,  जिसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।  
पहला रक्तदान 
दिंनाक 21 फरवरी,  2018 के दिन मैंने स्वेच्छा से महात्मा गांधी हास्पिटल जोधपुर  के ब्लड बैंक में पहला रक्तदान किया।  
उस दौरान मेरे अजीज मित्र बस्ताराम  जी सुमरा मौजूद थे।  
संतान मुक्त / बच्चा पैदा नहीं करने की शपथ
आज से लगभग डेढ वर्ष पूर्व ( जब मैं 20 वर्ष का था) ,  तब मैंने  सोशल मीडिया के माध्यम से यह घोषणा कर दी की,  यदि मैंने शादी कर ली तो हम बच्चे पैदा नहीं करेंगे 
इसको एंटिनेटालिज्म फिलोसोफी बोलते हैं,  इसमें दो सिद्धांत काम करते हैं 
1. हम जन्म लेने वाले बच्चे की इच्छा नहीं पूछ सकते कि वह दुनिया में आना चाहता हैं?  
2. दुनिया में दुख हैं,  यह परम सत्य हैं इससे बच्चे को गुजरना पङेगा।  हम एक तरह से उस पर जीवन थोप रहे हैं।  
भारत की जनसंख्या बहुत हैं,  तो बच्चे पैदा करने की जरूरत ही नहीं।  जिन्हें बच्चे पालने का शौक हैं,  वह पहले से मौजूद रिश्तेदारों के बच्चों को या अनाथालय के बच्चों को गोद ले सकते हैं।  
हम हमारी प्रेमिका / पत्नी को बच्चे पैदा कराके प्रेग्नेंसी / प्रसव पीङा नहीं देना चाहते और हम हमारे स्वंय के अस्तित्व पर ध्यान देते हैं।  
बच्चा पैदा करने से स्वंतंत्रता खो जाती हैं,  और इंसान जिम्मेदारियां तले दब जाता हैं।  
मांसाहारी से शाकाहारी बनने की कहानी 
मैं एक मांसाहारी परिवार,  समाज से हूँ,  तो फलस्वरूप मैं से अज्ञानता के कारण मांसाहार का सेवन करते आया हूँ। मैं पहले मांसाहार के सेवन को लेकर असमंजस में था।  लेकिन 22 वर्ष की उम्र में मेरा मांसाहार को लेकर नजरिया बिल्कुल बदल गया।  तथा हदय परिवर्तन होने के कारण मैंने मांसाहार ( मांस,  अंडे तथा मछली)  का सदा के लिए पूर्ण रूप से त्याग कर दिया।  और मुझे इसकी बहुत खुशी भी हैं।  
प्राकृतिक रूप से इंसान का शरीर मांसाहार के सेवन के लिए बना ही नहीं हैं।  शाकाहारी भोजन में आप स्वंय को हेल्दी तथा पशु की हत्या से बच सकते हो।  
सिर्फ एक जीभ के स्वाद के कारण बेजुबान जानवर को खाना 
बुजदिली हैं। 
पावन पर्व पर स्टेज पर भाषण 

26 जनवरी,  2018 को गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर मैंने अपना पहला सामुदायिक भाषण प्रवेशिका पब्लिक माध्यमिक विद्यालय,  बिराई में दिया।  
उस भाषण में गणतंत्र दिवस की सभी को शुभकामनाएं देते हुए संविधान के मुख्य निर्माता Dr.  भीमराव अंबेडकर का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया। 
तथा समाज में व्याप्त समाजिक कुरीतियों का उल्लेख किया।  विशेषकर मृत्युभोज ( मौसर)  जैसी कुरीति पर विस्तार से उसके दुष्प्ररिणामों का उल्लेख किया।  
अंगदान तथा देहदान की महता पर भी विस्तार से उल्लेख करते हुए उसके लाभों को उजागर किया।  
उस दौरान भाषण समाप्त होने के बाद मेरे स्पीच से प्रसन्न होकर तथा मेरा हौसला बढाने के लिए श्रीमान् रूपा राम जी परिहार तथा श्रीमान् अर्जुन राम जी जाट ने मुझे स्वेच्छा से 200- 200 रूपये दिये।  
भाषण देते समय हमारे अजीज मित्र जसराज जी देवङा ने वीडियो रिकोडिंग की तथा मैंने मेरा " Social awareness jodhpur " नाम से यूट्यूब चैनल बनाकर अपलोड कर दिया।  चैनल पर अपलोड सभी वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं - https://www.youtube.com/channel/UCIaah0MMMXhgazOIEOCLepA
तथा हाल ही में मेरे फेसबुक मित्र आलोक कुमार जी ने देहदान से सबंधित सवालों का साक्षात्कार किया,  जो उन्ही के यूट्यूब चैनल ' varjit satya ' पर वीडियो अपलोड की हुई हैं।  
डिप्रेशन 


मैं अपनी खूबियों के साथ अपनी कमियों तथा जिंदगी के उतार -चढावों को सहजता  से स्वीकार करते हुए उजागर करूगाँ।  
दुनिया में ज्यादातर लोग किसी न किसी तनाव से गुजरते हैं,  मैं भी एक लंबे समय तक तनाव में रहा और काफी हद तक इससे निजात भी पाई।  विस्तार से मैं अपने डिप्रेशन में गुजारे जीवन के सुनहरे पलों को जो बर्बाद किये उसकी मार्मिकता आपसे साझा करना चाहूंगा।  
मैं 2017 से पहले बिल्कुल सामान्य था,  लेकिन इस वर्ष के बाद मैं पढाई तथा रोजगार को लेकर चिंतित था और अकेला रहने लग गया था,  तथा एक रूम के अदंर खुद को कैद कर लिया था और धीरे - धीरे डिप्रेशन में चला गया।  तथा जीवन - मृत्यु पर गहरा - चिंतन करने लगा था,  बुद्ध की जीवनी पढी तो लगा कि जीवन वास्तविकता में दुखमय हैं।  समय बीतने के साथ डिप्रेशन धीरे - धीरे तेज होता गया तथा सिरदर्द रहने लगा था,  तो स्वाभाविक हैं कि उस दौरान खुदकुशी के विचार आते हैं,  अर्थात खुदकुशी के विचार आते थे।  
मैंने एक रात बहुत ही ज्यादा नशा ( शराब,  गांजा तथा स्मैक)  एक साथ ले लिया था,  जिसके चलते पुरी रात उल्टियां हुई।  
मैंने एक दिन फेसबुक पर कुछ इस प्रकार से पोस्ट अपलोड की " मैं सेक्स करने का इच्छुक हूँ,  मेरे साथ जो भी लङकियाँ / महिलाएँ सेक्स करना चाहती हैं,  मुझे इनबॉक्स कर देंवें।  और कृपया ' गे ' ( समलैंगिक)  दूर रहें " इस पोस्ट से मेरे घर वाले मेरी स्पष्टवादिता सोच को देखकर भङक  गये।  और मेरी सोच उन पर नागवार गुजरी।  और मेरा मोबाइल मुझसे छिन लिया और मेरी प्रोफाइल तथा पोस्टों के साथ छेङखानी की गई।  
इसके दो दिन बाद मुझे मेरा मोबाइल वापस दे दिया।  मेरी पोस्टों पर बदलाव को देखकर मुझे बहोत गुस्सा आया और मैने मेरा तथा मेरे पिताजी का मोबाइल तोड़ दिया।  उसके अगले दिन मेरी मानसिक हालात को ठीक नहीं समझते हुए इसलिए मुझे मथुरादास माथुर हास्पिटल,  जोधपुर के सीनियर मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया।  डाक्टर ने मेरी मानसिक स्थिति जानने के लिए अलग - अलग साइक्लाजी टैस्ट लिये जिसमें मैं नार्मल था।  
मैने डाक्टर के सामने भी वही अपनी स्पष्टवादी बात कही ,  लेकिन डाक्टर ने मेरी विचारधारा को समझे बिना ही मुझे पागल बोला तथा ज्यादातर गहरी नींद की मेडीसिन दे दी।  इन्हीं डाक्टर से मेरा लगभग 4 महिने तक इलाज चलता रहा।  इलाज के दौरान भी मैं बहुत उदास तथा बैचेन रहता था।  
जैसा मैंने ' सिजोफ्रेनिया ' के लक्षण पढे हैं,  वे मेरे साथ कहीं न कहीं हुये हैं।  जैसे - समाज,  परिवार प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से मेरे ऊपर अपने विचार थोप रहे थे,  और मुझे लगता मेरे बारे में सभी लोग गलत बाते करते हैं,  और बुरे - बुरे डरावने सपने भी आते थे।  धीरे - धीरे में सामान्य होने लगा।  
वर्तमान में मेरा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स)  ,जोधपुर में इलाज चल रहा हैं।  इलाज के दौरान मुझे पता चला कि मैं वास्तव में बायपोलर डिसआर्डर का पेशेंट हूँ। बायपोलर में कभी कभी आपको डिप्रेशन होता हैं और कभी कभी मेनिया  (उन्माद)  तेजी आना जिसमें आप सामान्य से बहुत ज्यादा खुश हो जाते हो,  तथा बङी - बङी रचनात्मक बातें करते हो इत्यादि ऐसी अवस्था में होता हैं।  
मैंने अपने तनाव को निम्न क्रियाकलापों के माध्यम से कम किया
1. योगा करके 
2. संगीत सुनके 
3. लेखन करके 
4. लोगों से बात करके 
5. व्यस्त रहके 
6. नये विषयों के बारे में जानके 
7. खुद की विचारधारा बनाके 
8. मोटिवेशनल स्पीच सुनने 
दोस्तों आपको मेरा पहला ब्लाग  कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताइये।  तथा मुझे सुझाव देना चाहे तो भी कमेंट जरूर करें।  

Comments

  1. आपका जीवनवृत पढ़ कर अच्छा लगा।
    बातों को थोड़ा कथ्यात्मक तरीके से कहा करें। आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएं

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  2. बहुत खूब मित्र... बहुत ही बेहतरीन लेख...

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  3. Bahut achha laga bhai ap apna jivan khuda ki marji se jeena chate ho ye achi bhat warna to shmaj ke bozz ke thele hum apani zigiyasa ko pura nhi kr pate hai Bhai all the best bhai

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    Replies
    1. जीवन के छोटे छोटे पहलुओं घटनाओं पर भी कुछ प्रकाश डालें।
      इनसे पाठक को आपके व्यक्तित्व को और गहराई से समझने मे आसानी होगी।

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  4. Nice mahendra sa
    Best of luck 🙋🙋🙋😘😘

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  5. महेन्द्र जी आपका ब्लॉग वाकई शानदार है वैसे भी हम दोनो साथ मे पढते है तो आपकी जिन्दगी के बारे मे और आपके विचारो के बारे मे थोड़ा बहुत जानता हूँ
    लेकिन आज आपका ब्लॉग पढ़कर आपकी जिन्दगी से बहुत कुछ सीख पाउंगा all the best
    Congratulations for next blog

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  6. महेन्द्र जी आपका ब्लॉग वाकई शानदार है वैसे भी हम दोनो साथ मे पढते है तो आपकी जिन्दगी के बारे मे और आपके विचारो के बारे मे थोड़ा बहुत जानता हूँ
    लेकिन आज आपका ब्लॉग पढ़कर आपकी जिन्दगी से बहुत कुछ सीख पाउंगा all the best
    Congratulations for next blog

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  7. ये तो आप हमसे भी आगे निकल गए लग रहा है। पढ़ कर वाकई अच्छा लगा। ऐसे ही और आगे बढिये। आप सदा सुखी रहिये।

    बहुत बढ़िया तरह से लिखा है। मुझे इतना अच्छा लिखना नहीं आता। आपने चित्रों का भी बहुत अच्छा प्रयोग किया। मैं तो बस साधारण तरह से लिख देता हूँ। मैं वाकई अभी कैसे लेखन पेश करें यह नहीं जानता लेकिन आप ने वाकई बढ़िया तरह से पेश किया है। मजा आ गया।

    आपने कई रिकॉर्ड कार्य करके भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। जो मैं न कर सका क्योंकि मैं इंट्रोवर्ट हूँ।

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  8. बहुत ही बढिया महेन्द्र जी। आप गहराई की हद तक चले गए जहाँ पर हर कोई नहीं जा सकता।👍👌

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  9. बहुत अच्छा लिखा है अपने भैया

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  10. संघर्ष को सलाम...!

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